Letter To Ex Girlfriend | बेवजह

Letter to Ex Girlfriend
मैं आज फिर डाकिये को बेवजह डाट रहा था,पुचकार रहा था.सच तो ये हैं के तुने आज भी मेरे खत का जवाब नही भेजा हैं.ना जाने तू किस बात से डर रही हैं. दुनिया से …इस दुनिया से तो बिलकुल ना डरना.ये तो पहले से ही गरीबी-अमीरी,जात-पात,सच-झूठ के दल दल मे फसी हैं.जैसे तैसे अगर इस दल-दल से निकल भी गई तो कोई बम धमाका, या बढती महंगाई और भ्रष्टाचार की रस्सी फिर धकेल देगी इन्हे इक नये और अंजाने दल-दल मे.


जरुरी नही हैं के तू हा लिखे खत मे
,पर ना कहने के लिये भी कोई क्या इतना इंतेज़ार करवाता हैं.कल पडोस वाली चाची बतला रही थी के कोई शहर का लडका आया था तुझे देखने के लिये,तुझे पसंद आया के नही इससे मुझे फर्क नही पडता हैं.पर तू ही सोच शहर मे कितनी तकलीफे,पैसा तो बहुत कमाते हैं शहर वाले पर फिर सैर करने तो हमारे गाव ही आते हैं.वो कन्हैया बतला रहा था के उसके घर के पास एक पक्का मकान बन रहा हैं.कोई शहर का साहब अब यहा रहना चाहता हैं. डाक्टर साहब ने उसे गाव की खुली हवा और स्वच्छ वातावरण मे रहने को कहा है.

Letter To Ex Girlfriend

पढाई भी अच्छी होती हैं हमारे गाव मे,अपने इश्वर काका की लडकी ने अभी दसवी कक्षा मे शहर के बच्चो को भी पछाड दिया हैं.मैं भी तो यही पढा हू और फिर शहर जाकर कालेज की पढ़ाई पूरी करके वापस अपने गाव आया हू और अपनी खेती मे अपनी पढाई से कमाये ज्ञान को लगा रहा हू.एक वक्त पर मेरे खेत की ज़मीन बंजर कहलाती थी और आज अपने गाव की सबसे उपजाऊ जमीन हैं.

मेरे दोस्त मुझसे मजाक कर रहे थे “के कही तुझे डाकीये के साथ इश्क ना हो गया हो “ मैंने उन्हे चार थप्पड लगाये और तोड दी दोस्ती, अब तो सिर्फ मौत से दोस्ती करना बाकी हैं.मॉ भी कह रही थी के आजकल मैं कमजोर हो गया हू,वैसे तो हर मॉ को अपना बेटा कमजोर दिखाई देता हैं,परंतु इस बार सच मे दुबला हो गया हू.अब मॉ को कैसे समझाऊ के इश्क मे ना भुख लगती हैं ना प्यास.
ये एक और खत लिख रहा हू तेरे नाम इसका ज़वाब जरुर देना,वर्ना मैं फिर डाकिये को डाटूंगा,मारुंगा और पुचकारुंगा बेवजह.
                         (चिराग)
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Comments

  1. प्रेम में हताशा की स्थिति ऐसी हो सकती है. लेकिन प्रेम में व्यक्ति को थोड़ा मज़बूत बनना चाहिए क्योंकि समय और देश कभी एक सा नहीं रहता, गाँव भी नहीं, संबंधी भी नहीं.

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