Poetry Heart | कुछ कहता हैं दिल

Poetry Heart

 


मेरा दिल कुछ कहता हैं,
हमेशा नए सवाल ये पूछता हैं

 

क्यों मिलकर जुदा होते हैं हम ,
क्यों आते हैं आंसू खुशियों के बाद
क्यों तडपाती हैं याद

 

किस बिनाह पर हम करते हैं प्यार ,
जबकि नहीं होता इसमे कागज़ पर हस्ताक्षार

 

 

 

 

किस तरह से बनी हैं ये दुनिया ,
जिसमे हर दम बहती हैं खून की नदिया

 

मेरा दिल कुछ कहता हैं,
हमेशा नए सवाल ये पूछता हैं

 

क्यों करे हैं हम अतीत को याद
क्यों करते हैं हम भविष्य की बात

 

क्यों करते हैं हम मुश्किल में भगवान् को याद,
क्यों नहीं करते हम खुशियों में फ़रियाद

 

मेरा दिल कुछ कहता हैं,
हमेशा नए सवाल ये पूछता हैं

 

क्यों करता हैं अमीर गरीब से बैर
क्यों जलता हैं गोरा काले से
जबकि आये हैं हम एक ही सद्गुरु के थेले से

 

क्यों पंछियों के नहीं कोई सीमारेखा
फिर क्यों इंसान को इंसान में बैर दिखा

 

मेरा दिल कुछ कहता हैं,
हमेशा नए सवाल ये पूछता हैं

 

 

 


(चिराग )

 

 

 

 

 

 

 

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