Chirag Ki Kalam ( चिराग की कलम )

जिंदगी का नशा ही काफी है ……

Poems

Poetry About Childhood | छोटी सी ख्वाहिश

 

जेब में कुछ सिक्के जो  होते ,

 

आसमान की सैर कर आते 

 

 

 

बदलो पर बैठकर जाते 

 

खुदा से कुछ बात कर आते 

 

 

 

नासमझ हैं पर फिर भी 

 

समझदारी की बात कर आते 

 

 

 

थोड़ी सी जिद करते

 

और जिद में

 

सबकी ख़ुशी मांग लाते 

 

 

 

छोटे छोटे हाथ हैं हमारे

 

पर बड़ी-बड़ी यादो को समेट लाते 

 

 

 

तुतलाती हुई जुबान से खुदा को 

 

डांट भी आते 

 

 

 

 

Poetry About Childhood

 

 

जब सब कहते हैं 

 

हम हैं तुम्हारे की स्वरुप 

 

फिर क्यों ठुकराते हैं 

 

डराते हैं ,मन पड़े तो मार भी देते हैं 

 

कुछ लोग हमें 

 

 

जब कहता खुदा हमसे के 

 

तुम हो मेरे ही बच्चे 

 

हम कहते के अपने 

 

बच्चो के खातिर कभी तो  धरती पर आ 

 

 

कभी कृष्ण बनकर 

 

कभी राम बनकर 

 

आये थे तुम धरती पर 

 

पर तुम्हे भी डराया था 

 

तुम हो भगवान इसीलिए 

 

तुमने सबको हराया था 

 

 

जब तुम्हे ही न समझ पाए वो पापी 

 

तो हम मासुमो को कैसे समझेंगे ….

 

(चिराग ) 

Also Read

Writing A Poem

Poetry About Childhood |Poetry About Childhood In Urdu  | Poetry About Childhood Memories |Poetry About Childhood Innocence | Poetry About Childhood Friendships | Poetry About Childhood In Hindi |Poetry About Childhood Love

Tagged:

4 COMMENTS

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

Follow us on Social Media