Karwa Chauth Poem

मैं रहूंगा

जब तू सुबह उठ कर अपनी जुल्फो को सवार रही होगी ,
तब सुबह की उस ताज़गी मे
,
मैं रहूंगा  …
मुस्कुरा कर जब तू आइने मे देख रही होगी खुद को ,
तब उस आइने मे संग तेरे
,
मैं रहूंगा …
दिन मे जब तू बिना कुछ खाये –पीये काम करेंगी ,
तो तेरी हर थकान को दूर करने .. ठ्न्डी हवाओ मे
,
मैं रहूंगा …. 
Karwa Chauth Poem
जब सांझ ढलने को होगी और तू मेरा इंतेजार करेगी ,
तब उस इंतेजार के हर एक पल मे
,
मैं रहूंगा …. 
सज-सवंर के जब तू बिंदिया लगायेंगी तो ,
उस बिंदीया की सरलता मे
,
मैं रहूंगा … 
मैं रहूंगा  …उन कंगनो की मधुर आवाज़ मे ,
सिंदूर मे
, काज़ल मे और तेरी पायल की छम-छम मे .
रात को जब चांद की पूजा करके तू ,
मुझे देखना चाहेगी
,
तो बस अपनी आंखे बंद कर लेना
,
मैं रहूंगा …. तेरी आंखो मे वही .. 

मेरा शरीर संग तेरे नही होगा आज ,
पर मेरी रुह वही होगी कही आसपास
,
मैं हमेशा रहूंगा…तेरे दिल मे
, विश्वास मे और तेरी हर सांस मे .

मैं रहूंगा …. मैं रहूंगा …. मैं रहूंगा ..… 

ये कविता मैंने अपनी पत्नी के लिये लिखी है .
( चिराग जोशी )    

Karwa Chauth Poem | Karwa Chauth Poem For Wife In Hindi | Poem For Husband In Hindi |  Poem For Wife | Karwa Chauth Poem For Husband | Karwa Chauth Poem Time | Karwa Chauth Thali Buy Online

About the author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow us on Social Media