Chirag Ki Kalam ( चिराग की कलम )

जिंदगी का नशा ही काफी है ……

Poems

जरा सा रुक कर देखना कभी

जरा सा रुक कर देखना कभी कब्रिस्तान मे भी,
शायद कोई अभी भी जिंदगी की जंग लडता हुआ मिल जाये
जरा सा रुक कर देखना कभी उस टुटे मकान मे भी,
शायद अभी भी कोई सपनो के महल की दिवारे चुनते मिल जाये

 


जरा सा रुक कर देखना कभी  सुलझे मैदान मे भी
,
शायद अभी भी कोई पेड अपनी टहनियो को सहलाता हुआ मिल जाये
,
 

जरा सा रुक कर देखना कभी उस रात के अंधेरे मे भी,
शायद अभी भी उज़ाला अपने अस्तित्व की लडाई करते हुये मिल जाये,

Hindi Short Poetry

जरा सा रुक कर देखना कभी आकाश मे भी,
शायद धरती से मिलने की आस लगाये बादलो मे कोई बूंद मिल जाये.

जरा सा रुक कर देखना कभी उस भिखारी के कटोरे मे भी,
शायद दुआओ की कोई अधुरी कहानी मिल जाये

जरा सा रुक कर देखना कभी अपने पैरो के तलवो मे भी,
शायद अब तक के सफर की निशानी मिल जाये. 

जरा सा रुक कर देखना कभी…..

(चिराग)

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20 COMMENTS

  1. जरा सा रुक कर देखना कभी अपने पैरो के तलवो मे भी,
    शायद अब तक के सफर की निशानी मिल जाये. बहुत ही खुबसूरत
    और कोमल भावो की अभिवयक्ति….

  2. 'शायद अभी भी उजाला अपने अस्तित्व की लड़ाई करते हुए मिल जाए'-
    संघर्ष अपनी आधी-अधूरी निशानियाँ छोड़ता चलता है. बहुत ही सुंदर कविता.

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