
एक दिन मेरे खुदा ने मुझसे पूछा ,
क्या हैं ये दोस्ती ,
क्यो बनाता हैं तू दोस्त ,
ऐसा क्या हैं इस रिश्ते मैं ,
जो नही हैं लहू के रिश्ते में ।
मैंने खुदा से कहा ,
एक भरोसा हैं दोस्ती ,
एक विश्वास हैं दोस्ती ,
जो मुश्किलों में दे साथ ,
वो परछाई हैं दोस्ती ।
इन चीजों से क्या होता हैं ,
ये सब तो लहू के नातो में भी मिल सकता हैं ,
फ़िर क्यो करता हैं तू दोस्ती ,
क्यो करता हैं अपनो से ज्यादा विश्वास दोस्त पर ।
मेरे खुदा ,
आज भाई -भाई से लड़ रहा हैं ,
बेटा पिता को मार रहा हैं ,
लहू के रिश्तो में लहू हैं ,
इसीलिए हर कोई अपनो का लहू बहा रहा हैं ।
मेरी दोस्ती तो प्रेम का रिश्ता हैं ,
तभी उसमे प्रेम रस बहता हैं ।
दोस्ती की क्या मिसाल दूँ मैं ,
दो जिस्म एक जान हैं दोस्ती ,
आज के इस कलयुग में ,
तुम्हारे होने का अहसास हैं दोस्ती ।
सच कहा बन्दे तुने ,
दोस्ती की असली पहचान हैं तुझे
तू और तेरी दोस्ती सलामत रहे हमेशा ,
यही हैं मेरी दुआ हैं तुझे
(चिराग )
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वाह दोस्त कविता पढ़कर मज़ा आ गया .कविता दिल को छू रही है !
बहुत कुशलता से परिभाषित किया है आपने आपका आभार
बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने…..
पूरी कविता दिल को छू रही है !
वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने …
दोस्ती की क्या मिसाल दूँ मैं ,
दो जिस्म एक जान हैं दोस्ती ,
आज के इस कलयुग में ,
तुम्हारे होने का अहसास हैं दोस्ती ।
सच में यही है दोस्ती ..बहुत कुशलता से परिभाषित किया है आपने आपका आभार
सच है कई बार दोस्त वो काम कर जाते हैं जो अपने नहीं कर paate ……
@sanajy ji
thanks ji dosti k naam hain ye kavita
@harkit ji
thanks mam
@ram ji
dhanaywad