India Tour of Australia 2018 First Test at Adelaide from 6-10 December 2018.
हर खेल मे जितने महत्वपूर्ण खिलाडी होते है उतने ही जरुरी उन्हे मैदान और उसके बाहर स्पोर्ट करने वाले दर्शक होते है । खिलाडी फिल्ड पर खेल खेलता है और वही खेल हर दर्शक के दिमाग मे भी चलता रहता है । कमेंटटॅर कह्ते है “ ohh it’s a loose ball outside the offstump” तो दर्शक अपने ही तरह से बात कहते है – “अरे यार देख के तो डाल भाई” , “ मैंने तो पहले ही कहा था इसे मत रखो “ ।
इसके साथ ही जब जरुरत होती तो टीम के साथ खडे होने की तो घर पर बैठे हुये ही कहते है- “ चलो- चलो लडको आराम से जीत रहे है ,सिंगल्स लेते रहो “ । मैं भी उन्ही दर्शको मे से एक हू, क्रिकेट का बहुत बडा पंखा और टीम इंडिया का सबसे बडा सर्मथक । वैसे मैं टीम का आलोचक भी हू और मेरा मानना है के जब आप किसी का साथ दे तो उसकी आलोचना भी करे ताकी वो ये जान पाये के वो कहा गलत है ।
दोस्त का दोस्त अपना दोस्त और दोस्त का दुश्मन अपना दुश्मन
ये बात हमने फिल्मो मे काफी सुनी है । फिर इसे मैंने क्रिकेट मे अपना लिया , जब से क्रिकेट देखा तो कुछ याद रहा या ना रहा पर एक बात जरुर याद रही के पाकिस्तान से हार बर्दाश्त नही होगी । चाहे वो 96 वर्ल्ड कप का QUARTER FINAL हो या सहारा कप या फिर अनिल भाई के दिल्ली के टेस्ट मैच के 10 विकेट । हर बार टीम इंडिया की इन जीत मे मैंने वैसा ही रिएक्ट किया जैसे बस ये लम्हा यही थम जाये और जिंदगी भर इन मैचेस की Highlights टीवी पर आती रहे । उस वक्त मोबाईल तो था नही पर अब मैं कई बार इन मैचेस हो YouTube पर देखता रहता हू।
हाल तो ये रह्ता था के हम दोस्त स्कूल या गली मे जब भी मिलते एक बार Henry Olonga की तारीफ कर लेते पर पाकिस्तान के किसी प्लेयर की तारीफ नही करते फिर चाहे वो Saeed Anwar ही क्यो ना हो । फिर रही सही कसर जेपी. दत्ता की फिल्म Border ने कर दी ।
कारगिल युद्ध के बाद स्कूल मे एक वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई और मैंने उसमे जो बाते की वो मैं ऐसे कर रहा था जैसे सामने पाकिस्तानी सेना के टैंक हो और मैं Border का सनी देओल ।
फिर आया 2003
क्रिकेट मे 2003 को कोई याद रखे ना पर मेरे पास इस साल की बहुत यादे है । सचिन का शोएब को मारा अपर कट, नेहराजी के छ: विकेट और फाईनल मे जहीर खान की वो वाईड गेंद । हर वर्ल्ड- कप की तरह इसमे भी हमने पाकिस्तान को हराया था । पूरा भारत ये मानता था के चाहे वर्ल्ड कप हार जाओ पर पाकिस्तान से मत हारना । पर जब टीम इंडिया 2003 वर्ल्ड-कप के फाईनल मे हारी तो ऐसा लगा के ये आस्ट्रेलिया से बदला लेना होगा।
2003 के टीम इंडिया के आस्ट्रेलिया दौरे की शुरुवात मे तो ऐसा लगा नही पर फिर जब अजित अगरकर ने एक सेशन मे छ: विकेट लिये और वीरू ने शाम को ही आधे रन बना दिये , लगा के रौंद दो इनको यही । ये वो टेस्ट मैच है जिससे हम दर्शको के दिल मे जो जगह पाकिस्तान ने ली थी , आस्ट्रेलिया उसके काफी करीब आ गया था । MonkeyGate ने ये जगह फिर और पक्की कर दी थी।
अब दोस्तो मे ये बाते कम होती है के पाकिस्तान कैसे उस टीम से जीता , अब तो हर वो टीम जो आस्ट्रेलिया को हरा देती है वो हमारी खास हो जाती है । चाहे वो पाकिस्तान की टीम हो ।
2003 से अब तक जो भी आस्ट्रेलिया दौरा रहा हो, दिल करता है इनको इनके घर मे हराओ । ऐसे हराओ के चाहे ये कितना भी आगे बढ जाये वो हार इनको हमेशा पीछे धकेले । 2003 मे Adelaide Test मे राहुल द्रविड का वो आखरी रन के लिये Square Cut हो , पर्थ मे आर.पी का वो बोल्ड या भज्जी का वो पोंटिंग को आऊट करके गुलाटिया खाना हो , ये सब Golden Moments की तरह दिल मे छ्प गये है ।
आज से टीम इंडिया का आस्ट्रेलिया दौरा शुरु हो रहा है । वो वीरु के 195 रन , सचिन के Sydney Test के 200 और इशांत शर्मा की वो “ एक और करेगा “ वाला स्पेल की तरह इस बार Golden Moments एक से ज्यादा हो और हम सीरिज जीत कर वापस आये ।
Bhuvneshwar Kumar Said :Sachin को out करना हमेशा याद रहेगा: भुवनेश्वर कुमार
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