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Showing posts from 2017

Age is just a Number for Nehraji | हमारे अपने बिंदास नेहराजी

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क्रिकेट के खेल मे कई उतार चढाव होते है और इसिलिये इसे अनिश्चित्ताओ का खेल कहा जाता है । भारतीय क्रिकेट मे कई एक से बढकर महान खिलाडी आये और उन खिलाडीयो के शुरुवाती दौर से लेकर उनके खेल के करियर के आखिर तक हम सोचते है के ये खिलाडी अभी ओर आगे खेले और देश का नाम रोशन करे । इन सबके बीच कुछ खिलाडी ऐसे भी है जो महान खिलाडीयो की श्रेणी मे नही आ पाये पर जब-जब वो खेले उनका खेल हमेशा उच्च स्तर का ही रहा है ।   आशीष नेहरा उन्ही खिलाडीयो मे से एक है । नेहराजी के नाम से मशहूर इस खिलाडी का जन्म 29 अप्रैल 1979 को दिल्ली मे हुआ । नेहराजी एक टिपीकल दिल्ली के लडके से बिलकुल अलग है ।एकदम सिम्पल और अपने मन की करने वाले नेहराजी ने 1997-98 मे दिल्ली के लिये घरेलू क्रिकेट मे  डेब्यू किया था । दुबले-पतले नेहराजी गेंद को दोनो ओर स्विंग कराने मे माहीर है । 24 फरवरी 1999 को पडोसी देश श्रीलंका के खिलाफ़ उन्होने अपने टेस्ट करियर का आगाज़ किया था  और 21 जून 2001 को जिम्बाब्वे के खिलाफ एकदिवसीय करियर का आगाज़ किया । नेहराजी ने जिम्बाब्वे के इस दौरे पर जो कहर ढाया था उसे आज भी सब याद करते है । उन्होने उस दौरे पर अपनी स्व

India Vs Australia Odi | तिरभिन्नाट पोहा

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“यार उमेश बोत दिन हुये ये पप्पू भिया नी दिख रे है “ –रितिक ने कहा । “ हा यार मैं भी काम के चक्कर मे उधर जा नी पा रिया हू ने फिर शाम को पानी आ जाता है नी तो फिर अपन कहा पप्पू भिया को ढूढो “ –उमेश ने कहा । रितिक –“ क्यो रे गेलिये पानी का पप्पू भिया से क्या लेना देना “ । उमेश-“ अरे यार पिछले साल बारिश गिरे ने के पप्पू भिया का फोन आये , ने फिर मेरे से के चल चले अड्डे पे “। रितिक –“ अबे तो दारू हीच तो पीने का के रिये थे कौन सा तेरे को तीर्थ करवा रिये थे “। उमेश-“  अबे नी यार , तू समझियो कौणी , पप्पू भिया शुरु के 2-4 पैक तो ऐसे पीये जैसे कोई मैजिक सिगनल खुलते ही दौडे ,ने फिर उने चढ जाये ने फेर अपणा नी पीन दे, बार –बार दे लप्पड- दे लप्पड ने के दारू पीना बूरी बात है “। रितिक ने दूर से पप्पू भिया को आते देखा और कहा –“अरे नी यार अपने पप्पू भिया ऐसे नी है वो तो सज्जन आदमी है , पीयो और पीने दो मे विसवास रखते है रे “। पप्पू भिया उमेश के पीछे आकर खडे हुये और रितिक को चुप रेने का इशारा किया । उमेश –“अबे गेलिये तेरे को सज्जन दिखते है , तू और पप्पू भिया दोनो ही सर्किट हो “। ये कहते हुये उमेश पलटा और पप

Holiday At Grandparents House

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इस दुनिया मे जब हम आते है । कई सारे रिश्तो से जुड जाते है । इन्ही सब रिश्तो मे एक रिश्ता होता है । दादा-दादी और नाना-नानी का और अगर सच कहू तो ये एक ऐसा रिश्ता है जहा शायद हमे सबसे ज्यादा प्यार मिलता है । चाहे आप इस दुनिया के छुट्टीया मनाने कही भी चले जाये परंतु गर्मियो की छुट्टीयो मे दादा-दादी और नाना-नानी के घर जाना सबसे बेहतर समर होलिडे होगा । हर कोई अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ समय बिताना चाहता है ।   जब हम छोटे थे तब शायद इतना हम ये नही सोचते के हम अपने माता-पिता के माता-पिता के साथ समय कैसे बिताना चाहते है । फिर जब नौकरी लगती है और ज्यादा वक्त जीवन की आप-धापी मे जाता रहा  । तब इस बात के बारे मे सोचते है के अगर मौका मिले या ये कहे के काश छुट्टीया मिले तो कुछ वक्त उनके साथ गुज़ारे ।   एक दिन दादाजी-दादीजी के साथ   दादाजी-दादीजी के संग वक्त गुजारने का अपना ही मज़ा है । उस वक्त हमे जो किस्से कहानिया सुनने को मिलते है । वो शायद ही कही और सुनने को मिले । मैं अपने दादाजी के साथ अपने गाव “कैथूली” जाना चाहता हू । वहा जाकर उनके संग उन गलियो मे घुमना चाहता हू । जहा उन्होने अपने जीवन के क

Love Story Book | कुछ किताबे तुम जैसी है

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कुछ किताबे तुम जैसी है । पुरी होने पर भी अधुरी सी है । उनके हर पन्ने पर एक निशान बनाया है मैंने और ये निशान तुम्हारे साथ बिताये लम्हो की यादे है । किताब मे कुल मिलाकर बस 365 पन्ने है । हर पन्ने को हर दिन एक –एक करके पढता हू और जिस साल मे 366 दिन होते है, उस दिन उस साल एक खास पन्ने को दो दिन तक पढ्ता हू । ये वही पन्ना है जिसमे किताब के हीरो ने हीरोईन को पहली बार मेले मे देखा था । तुम्हे याद है वो मेला जब तुम वो रिंग वाले स्टाल पर उस ताजमहल की मूरत को पाने की कोशिश कर रही थी और जब-जब तुम कामयाब नही हो रही थी तो गुस्से मे सर को जोर से हिला रही थी । जिसके कारण तुम्हारी जुल्फो से एक लट बाहर आ जाती थी । ये लट तुम पर बहुत खूबसूरत लग रही थी ठीक वैसे ही जैसे किताब मे किस पन्ने तक पढा है वो याद रखने के लिये एक रेशम सा चमकदार धागा होता है ।  वो धागा जैसे किताब की खूबसूरती मे चार चांद लगा देता है । ठीक वैसे ही वो लट तुम्हारी खुबसूरती को बढा रहा थी । या तो उस दुकान वाले की उम्र ज्यादा होगी या फिर वो अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड से डरता होगा । वर्ना मै उसकी जगह होता तो अपने हाथो से वो ताज़महल तुम्हारे ह

Friendship Poem In Hindi | वो था दोस्त

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  Friendship Poem In Hindi बचपन मे जब पार्क मे जाता था, तो मेरे लिये जो झुला-झुलने का नबंर लगाता , मेरी पेंसिल की नोंक टूट जाने पर , अपनी पेंसिल को तोड्कर जो देता , वो था दोस्त,   टिफिन मे जो मेरी पसंद का खाना लेकर आता, किसी से भी मेरी खातिर जो भिड जाता, टीचर अगर मुझे क्लास से बाहर कर देता , तो जानबूझकर गलती करता और क्लास से बाहर हो जाता, वो था दोस्त,   उसे चाहे जीरो मिले हो, पर मेरे नबंर ज्यादा आने पर, दुसरो को चिढाता , जिसके स्कूल ना आने पर, हर चीज़ अधुरी लगती थी, वो था दोस्त,   साईकल पर जो बैठा कर , पूरा शहर घुमाता, संग उसके मेले मे चाट खाने का मज़ा बहुत आता, क्रिकेट की पिच पर अगर वो साथ होता तो हर टारगेट पूरा कर लिया जाता वो था दोस्त,   अपने जन्मदिन पर सबको छोड कर, सबसे पहले जो मुझे केक खिलाता, मेरे गिफ्ट सबसे शानदार बताता, और रिट्न गिफ्ट दो चार ज्यादा ही दे देता वो था दोस्त,   कंधे पर जब हाथ उसका होता, दुनिया की हर चीज़ पर हक अपना होता, गलती होने पर जो डाटता भी और फिर वही गलती करता वो था दोस्त,   इश्क मे जब आंख भर आती, दिल टूट जाता , “अरे वो तेरे लायक नही

Shayari Hindi | वो दूर है हमसे

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Hindi Shayari तस्वीर दिल मे है उनकी तो क्या बडी बात है  जुबां पर नाम है उनका तो क्या बडी बात है  और लकिरो मे अगर वो नही  तो क्या बडी बात है   नींद का आलम कल रात कुछ ऐसा था ,  आंख खोलू तो वो , और आंख बंद करू तो वो     तकदीर मेरी भी बडी चालाक थी , आईने मे जब खुद को देखता था,  मुई चेहरा बदल देती थी   यकीन आयेगा तुम्हे शायद जीतने के बाद  के हार गये होते तो शायद बेगुनाह होते   वो दूर है हमसे,  ये गम नही है , कातिल दूर से ही शिकार कर रहा है ,  ये भी कोई कम नही है   थकान अब नही आती मुझे , उसे भी चैन की नींद मॉ की गोद मे ही आती थी  

Sachin Tendulkar first century | सचिन बस नाम ही काफी हैं -1

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सचिन रमेश तेंडुलकर जी हा ये हैं क्रिकेट के भगवान का नाम.बल्लेबाजी के हर रिकार्ड उनके नाम हैं.चाहे एकदिवसीय क्रिकेट मे 200 रन बनाना हो, या सबसे ज्यादा शतक लगाना हो. उनका हर शतक लाजवाब रहा हैं. उनके हर टेस्ट शतक को हम अपनी इस सीरिज-“ सचिन बस नाम ही काफी हैं” मे कवर करेंगे. आज बात करते हैं उनके पहले शतक की . सचिन ने अपना पहला टेस्ट शतक इंग्लैड के खिलाफ 1990 मे ओल्ड ट्रेफर्ड मे लगाया था. उन्होने अपने 9वे टेस्ट मे ही  अपना पहला शतक जड दिया था. उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 17 साल 112 दिन थी भारत की टीम इंग्लैड के दौरे पर थी. ये टेस्ट उस सीरिज का दुसरा टेस्ट मैच था. सचिन का ये पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बाद तीसरा विदेशी दौरा था. इस दौरे के पहले मैच मे सचिन लार्ड्स के मैदान पर दोनो पारियो मे महज 10 और 27 रन ही बना पाये थे. दुसरे टेस्ट मे इंग्लैड ने टास जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और अपनी पहली पारी मे 519 रन बनाये. जिसमे कप्तान ग्रेम गूच, अथर्टन और स्मिथ के शतक शामिल थे. जवाब मे भारत ने पहली पारी मे कप्तान अजहर के 179, मांजरेकर के 93 और सचिन के 68 रन की बदौलत 432 रन बनाये. इंग्लैड ने दुसरी प

Virat Kohli Anil Kumble | तिरभिन्नाट पोहा

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तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का रिजाईन “ क्या भिया ? बोत दिन से दिख नी रिये हो । पेले रविवार भी तुम्हारा इंतेजार किया हमने नी-नी करके 2 घंटे तक राजू को पोहे नी बनान दिये के यार रुक जा अभी आ रिये होयेंगे पप्पू भिया पर तुम आये नी यार, ऐसा थोडा नी चलता है ” – रितिक ने दूर से आते हुये पप्पू भिया से कहा  । “ अरे यार बारीक क्या बताऊ यार वो एक तो पेले शनिवार को वो मैच के चक्कर मे रे गे और सुबह नींद नी खुली , वो मैच के बाद जो नाचे नी यार के क्या बताऊ , अपन सरवटे पर चिल्ला रिये थे ने आवाज़ एम.वाय तक आ री थी  । “   “ वो रविवार तो उसमे निकल गिया ने फिर यार ये अपने किसान भाईयो ने आंदोलन कर दिया “। रितिक-“ हा यार भिया ये तो गजब ही हुआ ने अब मान भी नी रिये है ये लोग “। पप्पू – “ नी यार रितिक अपने किसान भाई की सब बाते तो मान ली है अपने मामा ने “। रितिक- “तुम्हारे मामा, बताया नी भिया तुम्हारे मामा राजनीति मे है और तो ओर भिया अभी सरकार मे भी है “। पप्पू- “ अबे गेलिये मे अपने मुख्यमंत्री की बात कर रिया हू “।रितिक-  “अच्छा ,शिवराज मामा की के रिये हो “ । पप्पू- “ हा यार पर मेरे को लगता है के अपन सब भी तो किस

Tapkeshwar Mandir

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देहरादून डायरी- टपकेश्वर मंदिर 10 जून 2016 को जब मुझे ये पता लगा के मेरा सिलेक्शन डी.आई.टी यूनिवर्सिटी मे हुआ । तब मैंने सबसे पहले इस शहर के बारे मे ही सोचा और मेरी सोच मे ये शहर पहाडो पर बसा हुआ था । तेढे-मेढे रास्ते, पहाडो पर चढना और उतरना ,कुछ इसी तरह की कल्पना की थी मैंने और फिर जब गुगल देवता से पूछा तो शहर की एक भिन्न छवि मुझे दिखाई दी । खैर मैं शहर की इस वास्तविक छवि को देखकर उदास नही हुआ ।   26 जून 2016 को दोपहर तकरीबन 1 बजे मे देहरादून पहुच गया । जब आप किसी अंजान शहर मे पहली बार आते हो तो सोचते हो काश कोई पहचान का मिल जाये । मेरे साथ ठीक ऐसा ही हुआ मेरे दोस्त( शायद ये कहना ठीक नही होगा , क्योंकी उम्र मे वो मुझसे बडे है ) और मेरे पुराने कालेज़ के कलीग सुनिल आनंद सर मिल गये । वो यहा मुझसे पहले से किसी दुसरी युनिवर्सिटी मे पढा रहे है । सर वैसे ये जानते थे के मैं आने वाला हू और सन्योगवश वो भी यहा आ गये थे ।  उनसे बातचीत करने के बाद मे फिर यूनिवर्सिटी की बस मे बैठ कर चला गया ।         खैर अब सीधा उस बात पर आते है जिसके लिये ये पोस्ट लिख रहा हू । देहरादून डायरी मे , आप सब से मैं इस शह

Ransomware Attack

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तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का लैपटाप “ हैलो....... कौन “ अबे बारीक मैं बोल रिया हू । “ अरे वाह यार भिया गजब कर रीये हो , इधर से भी तो मैं ही बोल रिया हू ” । “ अबे ओ पंचर , मैं पप्पू बोल रिया हू रितिक “। “ अरे यार वो क्या है नी कल वो एक फिलम देखी तो उसी का डायलाग चिपका दिया, क्या आपकी आवाज़ नी पेचानेंगे क्या यार “। “  चल अब बत्ती मत दे, एक दम फटाफट से मेरे कने आजा “। “  क्यू यार भिया क्या हो गिया “। “ अरे तू आये नी यार और मैंने वो छोटू, उमेश ने टीनू को भी बोल दिया है वो भी आ रीये है “। “  हओ भिया बस अभी आया,  नी-नी करके पांच मिनिट मे पोच जाउंगा “।   टीनू,उमेश,छोटू और रितिक चारो पप्पू भिया के यहा पहुच गये । उन्होने देखा के पप्पू भिया अपने लैपटाप को घूरे जा रे थे । रितिक –“ पप्पू भिया क्या देख रे हो इस लैपटाप मे क्या कोई नयी फोटू आयी क्या ऐश की “। उमेश –“ ऐसा क्या भिया , दिखाना जरा “। उमेश ने लैपटाप देखा  और बाकी सब से कहा –“ पप्पू भिया हम पर शक कर रिये यार “। टीनू – “ कई वीयो तू असो काय वास्ते कई रीयो है “। उमेश – “ पप्पू भिया ने लैपटाप पर ताला लगा रखा है, ताकी हम ऐश भाभी को देख नी सके “।

Poha Recipe | तिरभिन्नाट पोहा

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तिरभिन्नाट पोहा-इसके बिना जिंदगी खत्म भिया भियाओ…. कैसे हो सब लोग । क्या चल रिया है । तो मतलब ऐसे करोगे मतलब ... मैं देहरादून क्या आ गिया । तुम सब अपने को भूल ही गिये । बहुत दिन से सोच रिया था मैं के तुम सबसे बात करू वो क्या है नी के इधर एक तो लैंगवेज़ की दिक्कत है । अरे यार पार्टी तुम भी नी यार , लैंग्वेज़ नी समझे । अरे लैंगवेज़ याने भाषा अब ऐसा नी है के इधर हिंदी, अंग्रेजी नी बोलते पर अपना क्या है नी के अपन तो तरर्तराट है  हिंदी ने अंग्रेजी मे पर क्या है नी साला इधर कोई “ इंदौरी “ या “ मालवी “  नी बोलता यार । अब अपन तो क्या भिया उज्जैन के रेने वाले है । अब अपने को तो क्या है के कोई इंदौरी मे बात करे तो लगता है इज्ज्त दे रिया है  या फिर “ ओर कई मारसाब ,कई चाल रियो है “ । ऐसा के दे तो लगे के सम्मान दे रिया है । तो आज फिर सोचा अपन ने सोचा के तुम सब इंदौरी , उज्जैनी और अपने मालवा वालो से बात की जाये ने फेर कई अपणो मन भी तभीज़ लागे जब कोई अपणी लैंगवेज़ मे बात करे । अच्छा अब थोडा बता दू तुम सब छोकरा ओन के , के इसका नाम “तिरभिन्नाट पोहा” क्यो रखा । तो सुनो रे सब , अरे वो गुड्डू को बुला ले रे , द

Whatsapp Status | आपका Whats App स्टेट्स क्या है ?

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आपका Whats App स्टेट्स क्या है ? जिंदगी मे आपके नाम से आपकी पहचान हो जरुरी नही है । परंतु सोशल मिडिया पर आपके पहचान आपके स्टेट्स हो ये अक्सर होता है । फेसबूक हो या व्हाट्सएप वहा आपने क्या पोस्ट की है या क्या स्टेट्स लिखा है , हर कोई इनसे ही आपके बारे मे विचार बनाता है क्योंकी ये एक काल्पनिक दुनिया है । यहा पर आप सिर्फ अपनी प्रोफाइल से लोगो मे जाने जाते है और प्रोफाइल मे स्टेट्स बहुत अहम जगह रखता है ।   सबसे ज्यादा दिक्क्त आती है व्हाट्सएप पर जहा आपका स्टेट्स आपके हर दिन की सोच बताता है । त्योहारो पर तो हम बधाई संदेश लिख देते है परंतु बाकी दिन क्या करे ? कई लोगो ने तो जब से व्हाट्सएप का उपयोग शुरु किया है तब से आज तक एक ही स्टेट्स है “ Hey , there I am using Whats APP”  यही स्टेट्स डाल रखा है । कल ही मैं अपने दोस्त से इस बारे मे बात कर रहा था के आखिर रोज़-रोज़ नये स्टेट्स कहा से लाये और फिर मेरे दोस्त ने इसका जवाब दिया और जब मैंने वो वेबसाईट देखी तो लगा अब कभी-भी कोई भी व्हाट्सएप स्टेट्स चाहिये तो यही से लिया जायेगा । चलिये आज मैं आपको उस वेबसाईट के बारे मे बताऊंगा । साथ ही कैसे और कौन –

Hindi Medium | WOW-Mind Your Language

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WOW-Mind Your Language-क्योंकी हिंदी मॉ ने सिखायी है भाषा इस दुनिया के निर्माण  का एक अहम हिस्सा है । जैसे हवा और पानी जीने के लिये जरुरी है । ठीक उसी तरह भाषा के बगैर इस दुनिया की कल्पना भी नही की जा सकती है । इस दुनिया मे कई तरह की भाषाये है और हर उस भाषा का उपयोग का जो लोग करते है ,उनके लिये वो भाषा उनकी मॉ,पिता और गुरु से कम दर्जा नही रखती है ।   जैसा अब तक के मेरे लेखन से लग गया होगा । मैं जिस भाषा की बात कर रहा हू । वो है “ हिंदी “। हिंदी मेरे लिये भाषा ही नही मेरी मॉ जैसी है । इसके अनेक कारण है और उन्ही कारणो का जिक्र आज मैं करुंगा ।   हिंदी मुझे मेरी मॉ ने सिखायी है । जब छोटा था तो मैंने “ मॉ “  कहना सिखा जो हिंदी का शब्द है । हिंदी मैं मैंने अपने जीवन की पहली डाट भी खायी और चाहे पेपर अंग्रेजी हो या गणित का हर पेपर के पहले मैंने भगवान का नाम भी हिंदी मे लिया था । हिंदी मे जब-जब मैंने कुछ किसी से सुना या किसी को सुनाया मुझे समझ भी आया और मेरी बात को समझा भी गया । हिंदी मे ही मैंने अपना पहला गाना सुना और हिंदी के गाने को ही मैंने अपने क्रश को देखकर गुनगुनाया । “ रिश्ते मैं तो हम

Indian Jugaad | हम भारतीय जुगाडू है

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हम भारतीय जुगाडू है भारत एक ऐसा देश है, जहा कई प्रकार के रिती-रिवाज़, नियम-कानून है और तरह तरह के लोग रहते है । हर शहर, हर गाव मे यहा एक ही काम करने के तरीके अलग- अलग है । अगर साफ और सीधे शब्दो मे कहे तो हम भारतीय जुगाडू है । हमारे पास हर काम को करने के एक से एक नायाब तरीके है । चलिये तो फिर आज उन्ही तरीको मे से कुछ पर नज़र डालते है ।       पायजामे मे नाडा डालना - हमारे भारत मे पायजामा और उसके नाडे का एक गहरा सबंध है ।नाडे के बिना पायजामे की और पायजामे के बिना नाडे की कल्पना ही नही की जा सकती है । जब भी पायजामे का नाडा निकल जाता है । उसे डालने के लिये शायद किसी ओर देश मे बडी दिक्क्त आये परंतु हमारे भारत मे ये काम आसान है । उसके लिये चाहिये बस एक टूथब्रश, उसके एक सिरे पर नाडे को बांध के पायजामे मे डाल देते है और पायजामे मे बडे ही आसानी से नाडा डाल दिया जाता है । इसमे आप दो तरह के जुगाड देख सकते है एक तो नाडे को पायजामे मे डालना, दूसरा टूथब्रश जब पुराना हो जाये तो उसका उपयोग भी हो जाता है । टूथब्रश का उपयोग यहा खत्म नही होता इसके अलावा कई लोग इससे अपने वाशबेसिन को तो कुछ अपने तोते के प

Half Girlfriend Movie | दोस्त से ज्यादा, पर गर्लफ्रेंड,बायफ्रेंड से कम

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दोस्त से ज्यादा, पर गर्लफ्रेंड,बायफ्रेंड से कम कहाँनीया कब और कहा बन जाये हम कह नही सकते, पर एक ऐसी जगह है जहा हर रोज़ , हर पल एक कहाँनी जन्म लेती है । ये जगह शायद इसिलिये ही बनी है और फिर जो भी यहा आता है , वो खुद कई कहाँनीयो के जाल अपने दिमाग मे बुनते रहता है । ये जगह है “कालेज़” , कालेज़ दुनिया की एकलौती ऐसी जहा कई कहाँनीया, अलग अलग किरदारो के द्वारा रची गई है । एक ऐसी ही कहाँनी आज आप सबको बताने जा रहा हू  । इस कहाँनी के सारे किरदारो के नाम बदले हुये है पर ये कहाँनी एक सच्ची है और मेरे दिल के करीब है ।   आयुष ने 12वी मे अपनी आई.आई.टी की जमकर की और वो आई.आई.टी मे जाने का सपना 11वी कक्षा से देख रहा था । आयुष की कोशिश और उसकी मंजिल के बीच मे वैसे तो फासले कम थे, परंतु जो हुआ वो उसने भी नही सोचा था । आयुष का सपना टूट गया और आई.आई.टी के दुसरे पडाव मे वो फेल हो गया , खैर आयुष ने अपने शहर के ही एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज़ मे दाखिला ले लिया । कालेज़ के पहले दिन से लेकर तो अगले कुछ हफ्तो तक वो हर पल आई.आई.टी मैंस के पेपर के बारे मे ही सोचता था । जब एक महीना बिता तो आयुष का दिल नये कालेज़ मे लगन