मेरे हर सफ़र का साथी था वो ना जाने कब हवा चली और धुँआ हो गया वो मेरी हर नजर का दर्पण था वो ना जाने कब धुप गई और अँधेरा हो गया वो Read more…
मेरे हर सफ़र का साथी था वो ना जाने कब हवा चली और धुँआ हो गया वो मेरी हर नजर का दर्पण था वो ना जाने कब धुप गई और अँधेरा हो गया वो Read more…