Chirag Ki Kalam ( चिराग की कलम )

जिंदगी का नशा ही काफी है ……

Poem On World Food Day

Poem On World | चल रही हैं दुनिया

    धोखे पर ही चल रही हैं दुनिया,जो सच कहा मैंने तो मुझे गुनहगार कह रही हैं दुनिया   इंसान ही इंसान को जानवर कह रहा हैं,जानवरो का तो गोश्त खा रही हैं दुनिया ना अपने की फिक्र,ना पराये Read more…

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