Love Story Book | कुछ किताबे तुम जैसी है

Love Story Book
 
Love Story Book
 

 

 

 

कुछ किताबे तुम जैसी है । पुरी होने पर भी अधुरी सी है । उनके हर पन्ने पर एक निशान बनाया है मैंने और ये निशान तुम्हारे साथ बिताये लम्हो की यादे है । किताब मे कुल मिलाकर बस 365 पन्ने है । हर पन्ने को हर दिन एक –एक करके पढता हू और जिस साल मे 366 दिन होते है, उस दिन उस साल एक खास पन्ने को दो दिन तक पढ्ता हू ।

 

 

 

 

 

ये वही पन्ना है जिसमे किताब के हीरो ने हीरोईन को पहली बार मेले मे देखा था । तुम्हे याद है वो मेला जब तुम वो रिंग वाले स्टाल पर उस ताजमहल की मूरत को पाने की कोशिश कर रही थी और जब-जब तुम कामयाब नही हो रही थी तो गुस्से मे सर को जोर से हिला रही थी । जिसके कारण तुम्हारी जुल्फो से एक लट बाहर आ जाती थी । ये लट तुम पर बहुत खूबसूरत लग रही थी ठीक वैसे ही जैसे किताब मे किस पन्ने तक पढा है वो याद रखने के लिये एक रेशम सा चमकदार धागा होता है । 

 

 

 

 

 

वो धागा जैसे किताब की खूबसूरती मे चार चांद लगा देता है । ठीक वैसे ही वो लट तुम्हारी खुबसूरती को बढा रहा थी । या तो उस दुकान वाले की उम्र ज्यादा होगी या फिर वो अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड से डरता होगा । वर्ना मै उसकी जगह होता तो अपने हाथो से वो ताज़महल तुम्हारे हाथो मे रख देता ।

 

 

 

मैं चाहता तो वो ताजमहल भी जीतकर तुम्हे उस वक्त दे देता । परंतु तुम उस ताज़महल से ज्यादा खूबसूरत हो और फिर असली ताजमहल भी तुम्हारी ही तरह खूबसूरत मुमताज़ की याद मे बनाया गया था ।

 

 

 

तभी अचानक मेरी किताब के पन्नो को तेज़ हवा ने पलट दिया और वो उस पन्ने पर ले आयी जो उस किताब का सबसे अनमोल पन्ना था । वैसे उस पन्ने पर शीर्षक कुछ और था , परंतु मैंने तो उसे “ इज़हार” ये नाम दिया था । अब तुम समझ ही गयी हो मैं किस दिन की बात कर रहा हू । ये वही दिन है जब मैंने ये ठान लिया था के आज तुमसे दिल की बात कह के ही रहूंगा । वैसे मैंने इस दिन की तैय्यारी काफी की थी । इस दिन से ठीक एक महीने पहले अपने दोस्तो मे से किसी एक को तुम समझता और इज़हारे इश्क की प्रेक्टिस किया करता था । वैसे दोस्तो को तुम समझना काफी मुश्किल था पर और करता भी क्या ? अच्छा वैसे मेरे कालेज़ की ही एक लड्की जो मेरी अच्छी दोस्त थी ,  उसने कहा तो था के मैं प्रेक्टिस उसके साथ कर लू पर झूठ मे ही सही मैं तुम्हारे साथ बेवफाई नही कर सकता ।

 

 

 

 

 

आखिरकार वो दिन आ ही गया था । डर तो था मन मे के अगर तुमने मना कर दिया तो आगे की जिंदगी कैसे बिताऊंगा क्योंकि मैं भारतीय सिनेमा का वो विलेन नही था जैसा रोल शाहरुख खान ने डर मे किया था । मैं कैंटिन मे ठीक वक्त पर पहुच गया था और वही बैठा था जो तुम्हारी सबसे फेवरेट जगह थी । मेरे दोस्त तुम्हारे घर से लेकर कैंटीन तक आने की सारी खबर अपडेट दे रहे थे । उस दिन ना जाने क्यो तुम घर से देर से निकली और तुम्हारे इंतेजार मे पहले 2-4 चाय पी फिर 2 कोल्ड्रिंक । फिर लगा के कही कोल्ड्रिंक के कारण ज्यादा डकारे ना आ जाये तो फिर चाय पी ली । ये तुम्हारे इश्क का ही नशा था के ओर कुछ उस दिन असर ही नही कर रहा था ।

 

आखिरकार तुम आ गई और तुम उस पिंक सलवार-कुर्ते मे बहुत अच्छी लग रही थी । तुम जैसे ही टेबल के पास आयी मैं उठा और वहा से चल दिया । तुमने शायद इतना ध्यान नही दिया । मैं कुछ दुर जाकर काउंटर से फूल ले आया और बस वही फिल्मी अंदाज़ मे घुटनो पर बैठकर कर दिया अपने इश्क का इजहार । वैसे तुमने कुछ देर तो आश्चर्य से देखा , मेरे हाथ से फूल लिया और अपनी बुक मे उसे रखकर चल दी । तुम्हारे चेहरे पर मुस्कुराहट नही थी । मैं बडा उदास था , समझ नही आया के अब क्या करू ।

 

 

 

 

 

अचानक इसी सोच मे वो किताब मेरे हाथो से गिर गई और जब उसे उठाया तो किताब का वो पन्ना हाथ मे आया जब उस लडके से लडकी कुछ दिन बाद मिलकर अपना फैसला बताती है । तुम उस फूल को लेकर मेरे पास आई थी जो मैंने उस दिन तुम्हे दिया था । मुझे लगा के अगर तुमने इतने दिन तक अगर फूल सम्भाले रखा है तो जरुर कोई खास बात होगी ।  तुमने जो कहा वो अद्भुत था क्योंकी वो हर लडके ने सुना जरुर था । परंतु अपनी जिंदगी मे अपने इश्क से कभी सुनना पसंद नही करता । तुमने मेरे फूल को वापस देकर बस यही कहा के तुम मुझसे इश्क नही कर सकती । फूल जैसे ही मैंने हाथ मे लिया वो टूट्कर बिखर गया था । वैसे इस ना के कारण तो कई थे परंतु मैंने उसे जानना नही चाहता था ।

 

इसके आगे मैंने उस किताब को कभी पढा नही , दोस्त ने पढी है वो किताब कह रहा था के उस किताब के अंत मे हीरो –हीरोईन मिल गये थे । दोस्त जब –जब उस किताब के उस पन्ने का जिक्र करता था जिसमे वो लडका और लडकी कालेज़ खत्म होने पर मिलते है । तब –तब मुझे वो दिन याद आ जाता था जब कालेज़ के 3 साल बाद मैंने तुम्हे कैफे मे देखा था । दिल तो किया के तुमसे कारण पूछ लू मगर लगा के तुमने जो किया गुनाह तो नही था । इसके अलावा मैंने उस किताब के किसी ओर पन्ने के बारे मे किसी से जिक्र नही किया क्योंकि मेरे लिये तो किताब वही खत्म हो गई थी ।  

 

कुछ किताबे तुम जैसी है । पुरी होने पर भी अधुरी सी है ……..

 

ये कहानी आपको कैसी लगी बताईयेंगा , ये कहानी एक लेटर की तरह है जो एक लडके ने एक लड्की को लिखा है । .

 

 

 

 

 

 

Check out –Chirag Ki Kalam

 

Love Story Book | Love Story Book In Hindi | Love Story Book Pdf | Love Story Books By Indian Authors | Love Story Books To Read | Love Story Book By Erich Segal | Love Story Book Quotes

About the author

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow us on Social Media