भीनी भीनी सी मिट्टी की महक आयी
ओस की बूंदों से पत्तो पर चमक आयी
पीछे मुड़कर जब देखा मैंने
तो याद तेरी फिर आयी
अँधेरे को दूर कर सूरज की रोशनी आयी
सन्नाटे को चीरती चिडियों की चहचाहट आयी
राज कई बंद हैं सीने में मेरे
और उन्हें खोलने हँसी तेरी फिर आयी
तेरी बातो का जादू हैं कुछ ऐसा
पत्थर भी सुनने लगे हैं ये कुछ ऐसा
मधुशाला की और बढ़ते हुए मेरे कदमो को रोकने
तेरी नशीली निगाहे फिर आयी
मुस्कुराते हुए वो पल फिर आये ,
तेरी जुल्फों की छाव ले आये
सोचा था फिर होगी मुलाकात तुझसे
पर तुझे मुझसे छिनने
ज़माने के ये रिवाज फिर आये .
(चिराग )
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@raam ji
thanks bahut accha laga aap k blog visit karne par
@dipayan ji
thanks
ye yaadein hi to hain jo saath nibhatin hain …. baaki to sab chale jaate hain … khoobsurat rachna 🙂
@shitija….yes u are right…
thanks for the comment
Hey Chirag!! Who's d inspiration btw????
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना| बधाई ।
@patali thanks
@anjali …insipiration is the one whom i loved once upon a time
तेरी बातो का जादू हैं कुछ ऐसा
पत्थर भी सुनने लगे हैं ये कुछ ऐसा
बहुत सुंदर
एक एक शब्द पूर्ण अर्थ का बोध करता है ..और आपकी कविता की शैली बहुत सशक्त है ..यूँ ही अनवरत लिखते रहें …शुभकामनायें
@sanjay ji
thanks sir
aapako agar mera blog accha laga ho to follow kare
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
बहुत खूब । सुन्दर रचना । बधाई ।