Chirag Ki Kalam ( चिराग की कलम )

जिंदगी का नशा ही काफी है ……

Poems

महफिल

महफिल मे रोज़ उनकी बात होती है,
हर शाम उनके नाम होती है,
डर खुदा से लगता है लेकिन,
फिर भी इबादत उनकी होती है,

 

महफिल मे रोज़ उनकी बात होती है
हर शाम उनके नाम होती है

गुज़रे जमाने के लोगो को कौन याद रखता है,
बात तो उनकी होती है,
जो बगावत करते है,
ज़ाम तो दर्द-ए-दिल की दवा है,—- 2
हकीमो को कौन याद रखता है
दर्द जाने के बाद,

 Best Hindi Gazal

महफिल मे रोज़ उनकी बात होती है,
हर शाम उनके नाम होती है

मौसमो को तो बदलना है ,
रुख हवा का चाहे जो भी हो,
शख्सियत हमारी वही है,
चाहे ज़ाम ही हाथ मे क्यो ना हो,

नशा ज़ाम का कुछ ऐसा,
बादलो का बारिश से है जैसा,
कलम हमारी जब चलती है,
उनकी तारीफ ही निकलती है,

शौक तो नही है ये हमारा—2
आदत अब बन गई है….

महफिल मे रोज़ उनकी बात होती है,
हर शाम उनके नाम होती है,
डर खुदा से लगता है लेकिन,
फिर भी इबादत उनकी होती है,
महफिल मे रोज़ उनकी बात होती है.

 

Chirag Ki Kalam

Gazal | Sawaal ye nahi ke vo Kaha hai

 

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2 COMMENTS

  1. जब पढ़ते है आपके लेखन को,दिलो दिमाग में घर बसर करती है।

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