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Sanath Jayasuriya : 90’s Power House

Sanath Jayasuriya Batting

Sanath Jayasuriya

 उसके बैट मे रोड थी !

मेरा अधिकतर बचपन धार मे गुजरा था । मैंने कंचे खेलने से लेकर क्रिकेट के हर शाट यही खेलना सीखे थे ।  हर रविवार को हम क्रिकेट खेलने के लिये सुबह 6 बजे उठ जाया करते थे और जो नही उठता था उसके घर के बाहर हम जोर-जोर से उसे आवाज़ लगा के बुलाते थे । इसके कारण कई उस दोस्त के पापा या मम्मी से डाट भी खानी पडती थी । मैंने जैसा अपने गणेश चतुर्थी वाले लेख मे लिखा था के हमारा मोह्ह्ला जहा मैं धार मे रहता था वो काफी बडा था ।  जब भी हम किसी दूसरे मोह्ह्ले की टीम से मैच रखते तो टीम का सिलेक्शन करना पडता था  और हम ये सिलेक्शन शनिवार को रात को गली मे साईकल का स्टम्प बना के होता था । हमारी टीम मे हमे एक ताबडतोड ओपनर की जरुरत थी ।

एक दिन जब हम ग्राऊंड पर खेलेने गये तो एक लडका हमे ग्राउंड पर मिला वो अकेला घुम रहा था  और हर टीम जो वहा खेल रही थी उनसे खेलने के लिये रिक्वेस्ट कर रहा था । हमे भी एक प्लेयर की जरुरत थी तो हमने उसे रख लिया । जब भी हम अपने टीम के अलावा किसी को खिलाते थे तो उसे सबसे आखिर मे बैटींग देते थे । हमने उसे भी लास्ट मे उतारा और उस दिन उसने जो बैटिंग की उसे देखकर हम सब एक दुसरे को देखने लगे और सोचने लगे के यार ये तो हीरा हाथ लग गया ।  हमे लगा हम विडीयो गेम खेल रहे है जिसमे बस वो लाल वाला बटन दबाते ही गेंद बाऊंड्री के पार चली जाती थी ।  उस दिन हमने उसका नाम जयसूर्या रख दिया था ।

सनथ जयसूर्या श्रीलंका  की टीम का ऐसा बैट्समैन जिससे सिर्फ  दूसरी टीम ही नही डरती थी  साथ ही उस टीम के फैन भी डरते थे ।  हम भी उन्ही फैंस मे से थे जो जयसूर्या से डरते थे ।  कई बार  तो अगले दिन टेस्ट तक की तैय्यारी भी नही होती थी । स्कूल मे हमे मैच देखने के लिये हमारी कैंटिन के पीछे जाना पडता था । वहा पर एक बंदे का घर था जो स्कूल मे हमारे साथ नही था । पर क्रिकेट हमारे साथ खेलता था । लंच टाईम पर वहा भीड लग जाती थी । जैसे ही लंच टाईम खत्म होता सब क्लास चले जाता और क्लास का एक बंदा बाद मे आता जिसके चेहरे के हाव-भाव देख के हम समझ जाते के मैच मे कौन जीत रहा है । वैसे वो कागज़ पर लिख कर पास वाले को फिर वो अपने पास वाले और फिर धीरे-धीरे पूरी क्लास को स्कोर पता लग जाता था ।

96 मे हुआ वर्ल्ड-कप मेरा पहला वर्ल्ड-कप था जो मैंने टीवी पर देखा था । तब तक जयसूर्या को ज्यादा खेलते हुये नही देखा था और फिर उस वक्त ना इतने चैनल थे ना लाईव स्ट्रिमिंग की सुविधा के हर मैच देख लो । पेपर मे पढते रहते थे जयसूर्या के बारे मे और बाकी हमारे मोहह्ले के भय्या लोग जो कालेज़ की दहलीज़ पर कदम रख चुके थे वो बताते थे के एक वक्त वो भी जयसूर्या जैसा खेलते थे । इस बात को साबित करने के लिये कई बार हमारे मैच मे आके कहते थे बस दो गेंद खेलूंगा और फिर चार-पांच ओवर तक नही हटते थे । मुझे आज भी याद है अखबार मे एक आर्टिकल आया था भारत- श्रीलंका के 96 वर्ल्ड- कप सेमिफाईनल के पहले उसमे  लिखा था के भारत के गेंदबाज जयसूर्या को आऊट करने की प्लानिंग कर रहे है । वैसे भारत के पास उस वक्त जो गेंदबाज थे उनमे से एक श्रीनाथ ही ऐसे लगते थे जो जयसूर्या के सामने थोडा टीक पाते थे । बाकी वेंक्टेश प्रसाद और प्रभाकर की गेंदो को तो वो जब चाहे और जहा चाहे वहा मार देते थे  ।

खासकर मनोज प्रभाकर का करियर तो उन्ही ने खत्म किया था । मैंने देखा था वो मैच , उस मैच मे जब जयसूर्या प्रभाकर की हर गेंद को बाऊंड्री के पार कर रहा था । मैं कहता रहा के  यार ये इधर क्यो बाल फेक रहा है । बाद मे हम दोस्तो के पास अगले दिन का यही टापिक था के ये प्रभाकर को क्यो रखते टीम मे रखते है । वैसे प्रभाकर ने हमे फायदा भी पहुचाया था ।जब-जब  कोई पहला ओवर डालता था मैच मे और फिर पहले बैटिंग करने जाता था तो प्रभाकर का ही एक्जामपल देता था । बाद मे उसके जैसा कोई आया नही और फिर हम बडे भी हो गये ।

वैसे जयसूर्या के साथ बैटिंग करने श्रीलंका के  विकेट-कीपर कालूवितराणा आते  थे  । वो छोटे पैकेट मे बडा बम थे । जब लगता के अब जयसूर्या स्ट्राइक पर नही है चलो कुछ गेंद तो खाली जायेगी , पर जुर्रत किसी गेंदबाज की जो ऐसा करे कालू भी जयसूर्या से कम नही थे । दोनो मिलकर शुरुवात के 15 ओवर मे जो गेंद की धुनाई करते थे । बाद मे गेंद डालने वाले गेंदबाज , गेंद फेकने से डरते थे । दिवाली के फटाके अगर बच जाते थे तो मैं कई बार जयसूर्या और कालूवितराणा के आऊट होने पर जलाता था ।

ऐसा तब भी हुआ जब 96 वर्ल्ड –कप मे भारत –श्रीलंका के सेमिफाईनल मे दोनो जल्दी आऊट हो गये । उस दिन थर्ड मैन पर कालू और जयसूर्या दोनो जल्द आऊट हो गये । श्रीनाथ ने वो दोनो विकेट लिये और कलकत्ता ( अब कोलकाता ) के ईडन गार्डन पर सब झूम रहे थे और घर पर मैं डांस कर रहा था । लगा के बस अब तो फाइनल मे भारत की  जगह पक्की है । परंतु उस दिन जयसूर्या ने बैट से नही तो गेंद से अपना कमाल दिखाया । तब पता लगा के ये तो गेंदबाजी भी बढिया कर लेता है उस मैच मे सचिन को जो स्टम्प आऊट दिया उसके बारे मे हम कई दिनो तक डिस्कस करते रहे । फिर आखिर मे जो उस मैच मे हुआ उस पर हम अक्सर बात करते थे के मैच फिर से होगा और कुछ लोग भारत की टीम को पाकिस्तान फाईनल खेलने नही जाने देना चाहते है और उन्होने ही जानबूकझकर मैच हारने के लिये कुछ खिलाडियो को सेट किया था । जयसूर्या ने बहुत सारे रिकार्ड बनाये और वो फिर वो पहले खिलाडी थे जिन्हे हमने कम गेंदो पर ज्यादा रन बनाते देखा था । उनके रिकार्ड तो गली क्रिकेट मे तोडना भी मुश्किल था । हमारे मोह्ह्ले मे जब-जब हम प्लास्टिक  गेंद से खेलते हर कोई जयसूर्या का रिकार्ड तोडने की कोशिश करता था ।

वैसे उन दिनो जब वो इतना अच्छा खेल रहे थे तो एक आरोप भी लगा उनपर के वो अपने बैट मे लोहे की रोड लगा कर खेलते है । भारत की टीम के प्रशंसक होने के नाते हम इस पर भरोसा भी करते थे और जब जब पेपर मे ऐसी खबर आती हम दिल को ये तस्स्ली देते के भारत की टीम जीत जाती अगर वो लोहे की रोड नही लगाते । वैसे तब एक बैट भी आया था मार्केट मे जिसे हम फिश कवर बैट कहते थे । जब पहली बार एक लडके ने ये बैट खरीदा तो कहा के बैट तो कार्क की गेंद से खेलने का है ।

जयसूर्या  पर ये शक मुझे तो उनके एक शाट को देखकर पुख्ता हुआ ।एक शाट वो खेलते थे लेग साईड मे  फ्लिक और 10 मे से 9 बार ये शाट छ्क्के पर जाता था । जब भी वो ये शाट  खेलते थे अपने पैर को अक्रास के जाकर बस बडे ही अदायगी से फ्लिक कर देते थे ।उनका पैर वो ऐसे जमाते थे जैसे अंगद ने रावण की सभा मे पैर जमाया था । फिर वो श्रीलंका से है तो जानते भी होंगे के अंगद ने कैसे रावण की सभा मे पैर जमाया था । जितनी आसानी  से वो ये शाट खेलते थे लगता था के  उनके बैट मे सच मे रोड है । बाद मे इसकी जांच भी हुई और पता लगा वो बैट के पीछे एक कार्बन ग्रेफाईट की स्ट्रिप लगाई थी  । वैसे ये स्ट्रिप आस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग और डेमियन मार्ट्रिन ने भी अपने बैट पर लगाई थी । इस स्ट्रिप के लगाने से बैट की स्ट्रेंथ बढती है । ये बैट कूकाबूरा कम्पनी बनाती है ।  

पर हाल ही मे उन पर आई.आई.सी की एंटी करप्शन कमीटी ने  2 चार्जेस लगाये है । उन पर ये चार्जेस आई.आई.सी की जांच मे सहयोग नही करने और सबूत मिटाने पर लगे है । जिस पर उन्हे 14 दिनो मे जवाब देना है ।  जयसूर्या पर ये जो जांच हो  रही है ये श्रीलंका और जिम्बाब्वे के बीच जुलाई 2017 खेले गये चौथे वन-डे के दौरान हुये मैच-फिक्सिंग के चार्जेस पर है । उस वक्त जयसूर्या श्रीलंका टीम के मुख्य चयनकर्ता थे । वैसे उन पर जांच का सिलसिला 2015 से शुरु हुआ था ।उस बाद गाले स्टेडियम के पिच क्यूरेटर पर 2016 मे 3 साल बैन लगा था और उसमे जयसूर्या का भी साथ था । पिच क्यूरेटर जयानंद वर्नाविरा पिच की जानकारी देने और मैच फिक्स करने मे शामिल था ।

जयसूर्या ने जिस तरह से बेखौफ क्रिकेट खेला है उसे देखकर तो लगता है के उन पर जो आरोप लगे है वो गलत है । परंतु जिस तरह से उन्होने अपने बैट पर कार्बन ग्रेफाईट की स्ट्रिप लगाई थी शायद ये सारे चार्जेस सही भी हो ।

उनके पास 29 अक्टूबर तक का समय था जवाब देने के लिये और उनका जवाब अब तक नही आया है । उम्मीद है जयसूर्या का जवाब जल्द आयेगा और उसी तरह से आयेगा जिस तरह से वो बैटिंग करते थे ।

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