Chirag Ki Kalam ( चिराग की कलम )

जिंदगी का नशा ही काफी है ……

“वर्मा  जी दो दिन से दिखाई नही दे रहे है“ –थोडा सा परेशान होते हुये शर्मा जी ने किराना दुकान के मालिक महेश से पूछा । “ हा शर्मा जी दो दिन से दुकान पर भी नही आये , दो दिन बाद राखी भी है “ –दुकानदार ने वर्मा जी के ना आने को अपने 1000रुपये के  नुकसान  का सोचकर बोला । 
शर्मा जी – “ हा मैं इसिलिये आज आ गया  और कल तो आराम ही कर रहा था , समझ मे नही आ रहा था के क्या करू ?
“अरे शर्मा जी आप भी ना अरे दो दिन की छुट्टी और ले लो , ने निकल जाओ कही घुमने “ – महेश ने कहा और अपनी मूंछ पर ये सोचकर ताव दिया के अगर वो ये बात शर्मा जी को नही बताता तो शायद शर्मा जी के जीवन की बहुत ही खास  छुट्टीया बर्बाद हो जाती 
तभी दूर से अपने जाने –पह्चाने झोले  को लेकर वर्मा जी आते हुये दिखे । वर्मा जी के के पास वैसे कई झोले थे पर हर झोला एक से  एक था ।  उनके हर झोले पर किसी ना किसी  स्वतंत्रा  सेनानी की तस्वीर  होती थी 
“ अरे वर्मा जी कहा थे दो दिन से , हर रविवार  की तरह  कल आप हम लोगो की नाश्ता  पार्टी मे भी नही आये “-शर्मा जी  ने ऐसे पूछा जैसे देर रात आये अपने बेटे से पुछते है 
“हा  वर्मा जी कल नंदू ने बडे  ही अच्छे  समोसे  बनाये थे “- महेश ने अपने  पेट पर हाथ फेरते  हुये  कहा ।
“ अरे वो दो दिन बाद 15 अगस्त है तो उसी की तैय्यारी मे लगा हुआ था ,पार्क की घास बढ गई थी वो कटवाई , अपने देश के झण्डे  को साफ करवाया, बच्चो के नाटक को देखा और हा नंदू को लड्डूओ का आर्डर  भी देकर आया । दो दिन की छुट्टी इसी मे गई “- वर्मा जी ने सामान की लिस्ट छोटू को पकडाते  हुये कहा ।
“क्या वर्मा जी कौन-सा  हमे पार्क मे ज्यादा देर रुकना  है घास तो सुबह ही कट जाती “- शर्मा जी ने ऐसे कहा  जैसे वर्मा जी ने बहुत बडी गलती कर दी हो 



“हा वर्मा जी कौन देखता  है अब नाटक-वाटक ज्यादा  मन  हो तो टी.वी पर देशभक्ति  की दो फिल्मे देख लेंगे और वैसे भी रक्षाबंधन भी है उस दिन तो मिठाई तो बनेगी ही “। – महेश ने कहा ।
“ और फिर देशभक्ति दिखाने के लिये एक दिन क्यो हर दिन हर पल देशभक्ति  दिखा सकते है ।“ –शर्मा जी ने कहा ।
“ आप दोनो अपनी – अपनी जगह ठीक हो , पर आप बताये क्या आप अपना या बेटे का जन्मदिन नही मनाते हो हर साल , अपना प्यार जताने के लिये जरुरी नही के आप रक्षाबंधन का त्योहार मनाये ,क्यो आप भारतीय क्रिकेट टीम के जीतने पर मिठाई बाटते हो । प्यार, खुशी और देशभक्ति  माना दिखाई नही जाती परंतु फिर भी हमे ये पल जीने होंगे । हमे हमारी आने वाली पीढी  को हमारी संस्कृति और देश के बारे मे बताना भी तो जरुरी है “ – वर्मा  जी थोडा गम्भीर होते हुये कहा ।
“ और फिर भी आप सोचते है के देशभक्ति  दिखानी नही चाहिये  तो क्यो हम हमारे  पूर्वजो का श्राद्ध हर साल मनाते है “। -वर्मा जी मुस्कुराये  और उन दोनो के चेहरे पर कई सवाल छोड कर अपने घर की ओर चल दिये ।

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