जिंदगी मे हमारे पास अक्सर दो रास्ते होते है । एक जिस पर हम चल रहे है और एक जिस पर हम चलना चाहते है । दोनो अक्सर हमे तब मिल जाते है जब एक रास्ते की मंजिल काफी करीब होती है । ऐसा मैंने तो कई बार महसूस किया है । कई बार वो रास्ता जिस पर मैं चल रहा हू उस रास्ते के पडाव और लोग मुझे उस रास्ते से दूर करते है जिस पर मैं चलना चाहता हू ।
लिखने का शौक काफी वक्त पहले लगा और तब से अब तक बहुत कुछ लिखा है । वैसे शुरुवात मे ये सिर्फ एक तरीका था कुछ अलग करने का क्योंकी इंजिनियरिंग ने कुछ अलग करने का कीडा लगा दिया था । खैर तब शायद इंजिनियर्स का लेखक बनने का दौर शुरु हुआ था । चेतन भगत हम जैसे लेखको के लिये एक वो फोटो फ्रेम थे जिसमे हम जैसे लेखक अपने को देखना चाहते थे ।
खैर इसी दौर मे कई बार हुआ जब ब्लाग पर बहुत कम लिखना हुआ । आप माने या ना माने मैंने अब तक 4 ब्लाग बनाये है और किसी ना किसी कारण से डीलीट भी कर दिये । परंतु हर ब्लाग से एक नयी बात सिखी है जैसे हर सेमेस्टर मे एक ना एक सब्जेक्ट और किस्से सिखाते थे । ये मेरा पाचंवा ब्लाग है और अब तक जो भी हर ब्लाग ने सिखाया मैंने इस पर उसे सुधारा ।
कुछ वक्त पहले मैंने अपनी पहली किताब PCO(पी.सी.ओ ) Amazon पर publish की और शायद ये मेरी जिंदगी के उस रास्ते का सबसे पहला पडाव था । उस किताब को लिखने के बाद मुझे वैसा ही सूकून मिला जैसा हमे तब मिलता है जब शाम को घर आये और एक कप अदरक वाली चाय सीधा हाथ मे आ जाये ।