Poha Recipe | तिरभिन्नाट पोहा


तिरभिन्नाट पोहा-इसके बिना जिंदगी खत्म भिया


भियाओ…. कैसे हो सब लोग । क्या चल रिया है । तो मतलब ऐसे करोगे मतलब ... मैं देहरादून क्या आ गिया । तुम सब अपने को भूल ही गिये ।


बहुत दिन से सोच रिया था मैं के तुम सबसे बात करू वो क्या है नी के इधर एक तो लैंगवेज़ की दिक्कत है । अरे यार पार्टी तुम भी नी यार , लैंग्वेज़ नी समझे । अरे लैंगवेज़ याने भाषा अब ऐसा नी है के इधर हिंदी, अंग्रेजी नी बोलते पर अपना क्या है नी के अपन तो तरर्तराट है  हिंदी ने अंग्रेजी मे पर क्या है नी साला इधर कोई “ इंदौरी “ या “ मालवी “  नी बोलता यार ।




अब अपन तो क्या भिया उज्जैन के रेने वाले है । अब अपने को तो क्या है के कोई इंदौरी मे बात करे तो लगता है इज्ज्त दे रिया है  या फिर “ ओर कई मारसाब ,कई चाल रियो है “ । ऐसा के दे तो लगे के सम्मान दे रिया है । तो आज फिर सोचा अपन ने सोचा के तुम सब इंदौरी , उज्जैनी और अपने मालवा वालो से बात की जाये ने फेर कई अपणो मन भी तभीज़ लागे जब कोई अपणी लैंगवेज़ मे बात करे । अच्छा अब थोडा बता दू तुम सब छोकरा ओन के , के इसका नाम “तिरभिन्नाट पोहा” क्यो रखा । तो सुनो रे सब , अरे वो गुड्डू को बुला ले रे , दिनभर टेशन की सवारी ढूढ्ता रेता है । तो भिया ऐसा हुआ के अपन हर दिन की तरह दिन उगेज , पोहे की पलेट लईने बैठी गिया ने बडे आराम से अपन खा रिये थे । अचानक अपने को लगा के यार भिया जीरावन कम है तो जैसे ही अपन ने जीरावन डाला और पोहे खाये ये आईडिया भिन्नाते हुये अपने दिमाग मे आ गिया तो फिर अपन ने ज्यादा सोचा नी और रख दिया नाम “तिरभिन्नाट पोहा” ।

 

Poha Recipe

 
तो भिया इस “तिरभिन्नाट पोहा” मे अपन कोशिश करेंगे के हर हफ्ते बात करते रहे ने फिर कभी किसी हफ्ते अपन नी आ पाये तो तुम भेज देना एक “तिरभिन्नाट पोहा” अपन उसे चिपका देंगे अपने ब्लाग पे ।

 
तो भिया अपन जो है 27 जून 2016 को देहरादून आये ने फिर क्या है 26 जून 2016 को अपन उज्जैन से चले तो अपन ने साम के नी-नी करते सात बजे नागदा मे पोहे खाये थे । अब जब 27 जून को 1 बजे अपन यहा आये तो अपने को दो चीज़ की तलब लगी एक तो चाय ने दुसरा पोहा । अपन ने सोचा के चलो अभी तो  यूनिवर्सिटी चलते है फिर देखेंगे वहा जा के ने करेंगे कोई जुगाड । तो भिया अगले दिन यूनिवर्सिटी मे जाईन हो गये ने फिर एक हफ्ते मे अपन ने घर ले लिया किराये पे । अब क्या है के सात दिन हो गये ने पोहे नी खाये तो रविवार के दिन तो ऐसी तलब लगी पोहे की के क्या बताऊ मतलब आप मानोगे नी , सिर घुमने लगा ने चक्कर आये ,बिस्तर से उठा नी जाये ।


फिर भी अपन चले बज़ार अब अपने को डाऊट तो था के यहा कहा पोहा मिलेगा पर अपन जो है नी है तो बाबा महाकाल के भक्त । एक लोटा भांग पीने के बाद अपना कानफ़िडेंस तो टपकता लगने लगता है और फिर भांग नी पियो ने जैसे ही “ जय श्री महांकाल “ बोले अपने कानफिडेंस की तो नदीया बहती है तो अपन जो है “ जय श्री महांकाल बोलके ” ने निकल लिये बज़ार मे । अपन सबसे पेले तो एक ठैले वाले के पास गिये उससे की मैंने “भिया एक कट देना “ तो पता है उसने क्या किया ? वो बोले “ भाईजी चाय पीनी है “ । मेरा मन तो हुआ के उसे सुनाऊ फिर सोचा चाय पीले फिर चमकायेंगे ।


अब चाय आयी ने अपने ने उससे कहा के “ भिया एक प्लेट पोहा भी दे देना “ उसने मुझे ऐसे देखा, जैसे अपन ने जने क्या मांग लिया हो । उसने कहा –“ यहा पोहा नही मिलता , हम पोहा नही बनाते “ मैंने कहा  “ ठीक है यार , तुम नही बनाते , पर ये हम मतलब और कौन है जो नही बनाता अभी बता दो फालतू चक्कर नी काटने पडेंगे  “ उसने कहा – “ भाईजी हम तो नही बनाते , बाकी का पता नही , आप वो आगे वाले ठेले पर चले जाईये और “मोमो” का नाश्ता कर लिजीये “। मैंने सोचा ये कौंन-सी नयी डिश आ गई है ।


 
खैर मैं वो जगह छोड कर आगे गया और आप मालिक विस्वास नी करोगे नी-नी करके पूरा देहरादून घूम लिया पर कही भी पोहा नी मिला ।  थक गया,  फिर देखा के एक दुकान पर समोसे बन रहे थे । मैंने सोचा कोई नही पोहा ना सही समोसा ही सही । उसने समोसा दिया , अब वो दिखने मे तो ठीक दिख रिया था । अरे पर जैसे ही मैंने पहला कोर खाया लगा के समोसा है या बडी मठरी । समोसे मे पूरे मे अजवाईन का स्वाद आ रिया था और जैसे ही मैंने मसाला खाया ,मेरे को लग गिया के भिया यहा खाने को नी मिले ।



ऊ हू ,कच,कच ऐहे ऐहे बिल्कूल नी मिले । अब कई थकी हारी के मणे वणती की के लाला थोडी चटनी दई दे  । मतलब मानोगे नी आप भिया चटनी थी के परफ्यूम की बोतल ,अलग ही खूशबू आ रही थी । ने बस खूशबू ही आ रही थी । आखिर मे मेरी नज़र जलेबी पे टीकी मैंन सोचा की ये तो पूरे भारत मे मिलती है ये तो बढिया होगी । भिया जैसे ही पेला  टुकडा मुह मे रखा , बस मेरे तो आखो मे आसू आ गये , बस फिर मे चुपचाप दुकान से कच्चे पोहे ले के ने रुम पे गया ।  जाके ने बनाये फिर पोहे ने सेव डाल डाल के खाये ने हर स्वाद मे इंदौर उज्जैन के पोहे जलेबी वाले बहुत याद आये ।

 
तो भिया था एक किस्सा “तिरभिन्नाट पोहा” का आगे और भी बकर करेंगे ने मिलते रहेंगे । अच्छा अब अपने कमेंट्स जरुर देना क्योंकी भिया यहा देहरादून मे तुम ही और कौन है अपना ।  चलो भिया फिर मिलेंगे किसी नये विषय पर बात करेंगे ।

बाकी की तिरभिन्नाट पोस्ट पढने के लिये नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक करो भिया


 

तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का लैपटाप


 

तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का रिजाईन



Youtube Chirag Ki Kalam

Poha Recipe | Poha Recipe In Hindi | Poha Recipe Video | Poha Recipe In English | Poha Recipe Without Oil In Hindi | Poha Recipe Youtube | Poha Recipe Without Onion | Poha Recipe Step By Step

Comments

Popular posts from this blog

90's Childhood | काश वापस आ जाये

माचिस की डिब्बी

Poem On City | कौन रहता है इस शहर में