Indian Jugaad | हम भारतीय जुगाडू है
हम भारतीय जुगाडू है
भारत एक ऐसा देश है, जहा कई प्रकार के रिती-रिवाज़, नियम-कानून है और तरह तरह के लोग रहते है । हर शहर, हर गाव मे यहा एक ही काम करने के तरीके अलग- अलग है । अगर साफ और सीधे शब्दो मे कहे तो हम भारतीय जुगाडू है । हमारे पास हर काम को करने के एक से एक नायाब तरीके है । चलिये तो फिर आज उन्ही तरीको मे से कुछ पर नज़र डालते है ।
- पायजामे मे नाडा डालना - हमारे भारत मे पायजामा और उसके नाडे का एक गहरा सबंध है ।नाडे के बिना पायजामे की और पायजामे के बिना नाडे की कल्पना ही नही की जा सकती है । जब भी पायजामे का नाडा निकल जाता है । उसे डालने के लिये शायद किसी ओर देश मे बडी दिक्क्त आये परंतु हमारे भारत मे ये काम आसान है । उसके लिये चाहिये बस एक टूथब्रश, उसके एक सिरे पर नाडे को बांध के पायजामे मे डाल देते है और पायजामे मे बडे ही आसानी से नाडा डाल दिया जाता है । इसमे आप दो तरह के जुगाड देख सकते है एक तो नाडे को पायजामे मे डालना, दूसरा टूथब्रश जब पुराना हो जाये तो उसका उपयोग भी हो जाता है । टूथब्रश का उपयोग यहा खत्म नही होता इसके अलावा कई लोग इससे अपने वाशबेसिन को तो कुछ अपने तोते के पिंजरे को भी साफ करते है ।
- लाईन मे लगे बिना टिकीट लेना – दुनिया शायद एक दिन खत्म हो लेकिन हमारे यहा बस और ट्रेन की टिकीट की लाईन कभी खत्म नही होगी । हम कई बार ट्रेन या बस मे सफर कर चुके है फिर भी कई बार जाने मे और कभी अनजाने मे हम लेट हो जाते है । फिर हम जब देखते है टिकीट खिडकी पर लम्बी लाईन देखते है , तो हमारे अंदर बीरबल से भी तेज़ दौडता है और हम उस इंसान को ढूंढते है जिसे हम अपना काम्चलाऊ ताऊ,चाचा,अंकल या भाई बना सके । उसके पास जाके हम धीरे से अपनी दुविधा बता देते है और उस तरह से आग्रह करते है जैसा हमने आज तक हमने किसी से नही किया ।
- बस मे सीट ढूंढ्ना – अब ट्रेन मे टिकीट मिलने के बाद भी कहा हमारा जुगाड खत्म होता है । इसके बाद चाहे ट्रेन मे खडे होने की जगह ना हो फिर भी हम आसपास के तीन डब्बे मे ऐसे चक्कर लगाते है जैसे अचानक से खाली सीट हमारे सामने प्रकट हो जायेगी । अब अगर सीट ना मिलती है तो हम फिर वही कामचलाऊ ताऊ को ढूंढते है और उनसे जगह की रिकवेस्ट कुछ ऐसे करते है – “ इस सीट पर पांच बैठते है “, “ भईया अगले स्टेशन पर उतर जाऊंगा “ , “ कहा तक जाओगे ताऊ “ , या फिर अपना कंधा उससे अडा देते है के भाई तेरे उठते ही मैं बैठूंगा । हमारे देश का रेल नेटवर्क काफी बडा है और इतनी जनसंख्या इसी जुगाड के चलते रेल मे सफर कर रही है ।
- स्वाद अपने तरह का – हमारे देश मे तरह-तरह के व्यंजन बनते है । हर जगह का अपना स्वाद और मसाले है । हमारे देश मे कई साल तक अंग्रेजो का राज़ रहा और कई देशो के लोग हमारे यहा आते रहे । वो सभी अपने देश का स्वाद और व्यंजन अपने साथ लाये । हमने व्यंजन को तो जैसे के तैसा अपनाया परंतु उसके स्वाद मे ऐसा जुगाड लगाया के अब वो व्यंजन हमारे देश के नाम से फेमस हो गये है । इन्ही व्यंजनो मे से एक है नूडल्स,मंचूरियन, मोमो,फ्राईड राईस, सेंड्विच और मेगी । आज ये सब व्यंजन हमारे देश के नाम से फेमस है ।
- पेन मे रिफील फिट करना – ये काम तो हर भारतीय करता है , चाहे रिफील पेन के हिसाब से मिले ना मिले । हम उसे काट के अपने पेन मे एड्जस्ट कर ही देते है । कभी – कभी अगर इसके बाद भी रिफील सेट ना हो तो हम एक ओर जुगाड करते है, हम छोटे से कागज़ को फाड कर उसे रोल करके रिफील के आखिर मे एड कर देते है इससे अगर रिफील ज्यादा छोटी हो या ज्यादा कट गई हो तो भी एड्जस्ट हो जाती है ।
- अलमारी,फ्रिज या टेबल का बैलेंस बैठाना – उपर करे जुगाड का बडा रूप है किसी अलमारी,टेबल का बैलेंस बैठाना । अबकी बार कागज़ बडा और गत्ते का टुकडा होता है और इसे रोल ना करते हुये हम मोड कर टेबल के पैर के नीचे फसा कर काम चला लेते है । ये हमारे देश का सबसे बडे जुगाड मे से एक है जो हर कोई करता है । इसके साथ ही अगर हमारे दरवाजे का स्टापर खराब हो जाये तो हम एक पत्थर लगा देते है जो स्टापर की तरह काम करता है ।
7 . साबून का पूरा उपयोग – इस बारे मे शायद ज्यादा बताना ना पडे । गरीब हो या अमीर हर भारतीय ये काम करता है । जब साबून खत्म होने वाला होता है तो उसे या तो वाश बेसिन मे हाथ धोने मे लगा देते है या फिर उसे आखिर तक उपयोग करते है । इसी तरह का काम हम टूथपेस्ट , क्रिम, घी या दूध का पैकेट के साथ करते है । इनको हम काट के कुछ दिन लगाते है और पहले नीचे से फिर ढक्कन के तरफ से काट देते है । इसी कडी मे हम शैम्पू की बोतल मे आखिर मे पानी डाल के उपयोग करते है ।
- फटे बनियान का पोछा बनाना – ये शायद हर घर मे ना हो पर अधिकतर घरो मे फटे बनियान, पुराने कपडे या पूराने मोजे का उपयोग सफाई के काम मे ले लेते है । ये जुगाड काफी वक्त से चला आ रहा है ।
- पेन से कैसेट सही करना – ये नब्बे के जमाने के लोगो ने खूब किया हुआ है । जब भी कैसेट उलझ जाती थी तब हम एक पेन से उस पूरी कैसेट को सही करा देते है । अगर ये कैसेट किसी दुसरे देश मे खराब होती तो शायद फेक दी जाती परंतु हम उसे पेन से सही कर देते है । इस जुगाड से हमने कैसेट ना सही कई बार हम लाईट के साकेट मे वायर भी सेट कर देते है ।
- पार्किंग मे जगह ढूंढना – इसे हम जुगाड की जगह अगर अविष्कार कहे तो गलत नही होगा । हम बाज़ार जाये और गाडी पार्क करने के लिये जगह ना मिले ऐसा नही होता है । हम जो गाडी साईड स्टैंड पर लगी होती है उसे मैन पर लगा कर जगह कर लेते है । इसके अलावा कभी बीच मे थोडी सी जगह मे भी फसा देते है । अगर इसके बाद भी जगह ना मिले तो गाडी ऐसे खडी कर देते है के जो गाडीया सही से लगी है वो भी ना निकल पाये । आखिर मे हम कुछ ना मिले तो गाडी को आधी सडक पर खडी करके निकल जाते है ।
जुगाड हमे सिखाया नही जाता , ये हमारे खून मे है । हम अपने तरीको का उपयोग करके हमेशा समस्या का हल निकाल ही लेते है । ये सब इसिलिये है क्योंकी हमारे संस्कार मे है के हमे हमेशा बुद्धि का उपयोग करना चाहिये ।
This post is written for a contest at IndiBlogger.
Lufthansa-More Indian than You Think
Ajinkya Rahane
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Witty. Loved the post.
ReplyDeleteTremendous post...the examples written here just amazing,
ReplyDeletewhat can i say !!!!...i agree with each points covered here.
Superb one.
बातें भले ही सारी आम हो , पर इन्हें आप के अंदाज में जानना किसी रोचक अनुभव से कम नहीं...
ReplyDeleteThanks Ankit
ReplyDeleteThere are some more points because we Indians are unique
ReplyDeleteThanks for comment