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Showing posts from November, 2016

School Bags | एक ऐसा रिश्ता भी है

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एक ऐसा रिश्ता भी है जब मैं पैदा हुआ था शायद तब से ही वो मेरे साथ था । तब शायद मैं उसे जान नही पाया था । फिर भी बाद मे ये एहसास हुआ के ये तो तब भी वही था । जब मैं पांच साल का हुआ तब मैंने उसे देखा और ये कहू के देखा तो पहले भी  था पर समझा पहली बार , उसके बाद तो फिर वो मेरे साथ मेरे साये की तरह रहा और आज भी वो मेरे साथ है   मेरे सुख-दुख , सफलता- असफलता की हर कहानी मे मैंने उसे पाया है । मेरी जिंदगी मे जो रंग मुझे भरने थे वो रंग उसमे ही समाये थे । कभी रंगो से वो भीगा भी और साल –दर साल उसे मे नये परिवेश मे देखता भी गया , परंतु रुह उसकी हमेशा वही थी । बदला तो बस शरीर ही था । मौसम बारिश का हो या गरमी का उसने उस ज्ञान को जो उसने अपने भीतर रख रखा था । उस पर कभी आंच नही आने दी । ख्वाब हो या हकीकत हर वक्त और या ये कहू हर सांस मे वो था । जब-जब वो मुझे नही मिलता एक अज़ीब से बैचेनी मुझे हो जाती थी । लगता था दुनिया ही खत्म हो गई हो , परंत साल के कुछ महीने ऐसे भी थे जब मैं उसे भी आराम दे देता था । मॉ के हाथ के बने पराठे , सेंड्विच , अचार , सब्जी , रोटी या मिठाई हर चीज़ हमने मिल-बाट कर खायी थी । क

India vs England | रायता फैल ही गया था

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  भारतीय क्रिकेट टीम ने हाल ही मे टेस्ट क्रिकेट मे नबंर -1 के पद को हासिल किया है । न्यूजीलैण्ड के सीरिज़ जीत से भी टीम का हौसला काफी ऊचा था । “ था “ इसलिये उपयोग किया गया क्योंकी जब भारतीय टीम इंग्लैड के खिलाफ पहला टेस्ट खेलने उतरी तो इस खेल के रचियता इंग्लैड ने उन्हे ये बताया के नबंर एक पर आना और वहा पर टीके रहना दोनो अलग बात है ।   काफी वक्त बाद कप्तान विराट कोहली सिक्के के उछाल मे मात खा गये और इंग्लैड ने राजकोट की पिच पर पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लिया । इंग्लैड के कप्तान कूक ये जानते थे के अगर भारत मे पहले बल्लेबाज़ी नही की तो मैच हारने का प्रतिशत काफी तेजी से बढ्ता है ।       कूक और युवा हमीद (जो अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे थे )  ने एक अच्छी शुरुवात दी और जब लगा के कूक अपना पुराना प्रदर्शन ( भारत के खिलाफ कूक का प्रदर्शन भारत और भारत के बाहर शानदार रहा है )  दोहरायेंगे , रविंद्र जाडेजा ने उन्हे एल.बी.ड्ब्ल्यू किया । इस सीरिज़ मे पहली बार भारत मे डी.आर.एस का उपयोग हो रहा था । इस डिसीज़न को लेकर कूक ने हमीद से बात की पर युवा हमीद का कम अनुभव यहा आडे आ गया , बाद मे देखने पर पता लगा

Demonetisation Article

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भरोसा रखिये परिवर्तन होगा   प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने जब 9 नवंबर को ये घोषणा की के आधी रात के बाद से 500 और 1000 के नोट चलने बंद हो जायेंगे तो उनकी सरकार की बहुत तारीफ हुई और रातभर तारीफो के मैसेज फेसबूक और वाट्सएप पर चलते रहे । अगले दिन बैंक बंद थे , लोगो को तकलीफ तो हुई पर सबने सोचा देशहित मे एक दिन की तकलीफ झेल लेंगे । फिर जब अगले दिन बैंक खुली पर जो सबको उम्मीद थी उस हिसाब से हुआ नही और होना भी नही था । इतना बडा देश है सबके नोटो को बदलने मे वक्त तो लगेगा । फिर अगले दिन ए.टी.एम खुले परंतु फिर भी हालातो मे कोई सुधार नही हुआ । सवाल करने वाले बस इसी के इंतेजार मे थे और वो दो दिन बाद इसलिये बोले के दो दिन वो भी अपने नोट बदलने मे लगे थे ।   जैसे घर मे कोई भी प्रोग्राम होता है तो रिश्तेदारो मे से कोई एक जरुर होता है जो चाहे काम कितना भी अच्छा हो कमिया निकालता ही है । कुछ लोग उस रिश्तेदार को फूफा कहते है( कोई भी फूफाजी , खासकर मेरे तो बिल्कुल भी बुरा ना माने और मान जाये तो दो रोटी ज्यादा खा लेना , कई बार खाना हर चीज़ भूला देता है ) तो कोई कुछ ओर तकिया कलाम उपयोग करते है । हा तो ये फूफा ट