जरा सा रुक कर देखना कभी
जरा सा रुक कर देखना कभी कब्रिस्तान मे भी,
शायद कोई अभी भी जिंदगी की जंग लडता हुआ मिल जायेजरा सा रुक कर देखना कभी उस टुटे मकान मे भी,
शायद अभी भी कोई सपनो के महल की दिवारे चुनते मिल जाये
शायद कोई अभी भी जिंदगी की जंग लडता हुआ मिल जायेजरा सा रुक कर देखना कभी उस टुटे मकान मे भी,
शायद अभी भी कोई सपनो के महल की दिवारे चुनते मिल जाये
जरा सा रुक कर देखना कभी सुलझे मैदान मे भी,
शायद अभी भी कोई पेड अपनी टहनियो को सहलाता हुआ मिल जाये,
जरा सा रुक कर देखना कभी उस रात के अंधेरे मे भी,
शायद अभी भी उज़ाला अपने अस्तित्व की लडाई करते हुये मिल जाये,
शायद अभी भी उज़ाला अपने अस्तित्व की लडाई करते हुये मिल जाये,

जरा सा रुक कर देखना कभी आकाश मे भी,
शायद धरती से मिलने की आस लगाये बादलो मे कोई बूंद मिल जाये.
जरा सा रुक कर देखना कभी उस भिखारी के कटोरे मे भी,
शायद दुआओ की कोई अधुरी कहानी मिल जाये
जरा सा रुक कर देखना कभी अपने पैरो के तलवो मे भी,
शायद अब तक के सफर की निशानी मिल जाये.
जरा सा रुक कर देखना कभी.....
(चिराग)
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