कौन रहता हैं इस शहर में ,
अनजाने लोग जहा मिलते है अब
कौन रहता है इस शहर में,
रातो के साए जहा आते नहीं अब
बंद दरवाजे है , खिड़की पर ताले है ,
चोखट पर धुल नहीं है अब

कौन रहता है इस शहर में .....
ख्वाब तलाशने निकलना है ,
खुली आँखों से नींद आती नहीं अब
खुली आँखों से नींद आती नहीं अब
आसमान का रंग बदल चूका है ,
पानी में भी तस्वीर नहीं दिखती अब
पानी में भी तस्वीर नहीं दिखती अब
मुस्कराहट की याददाश्त खो चुकी है ,
आंसुओ के सैलाब हर कदम पर है अब
आंसुओ के सैलाब हर कदम पर है अब
कौन रहता है इस शहर में .....
विचारों की परछाई दिख रही है ,
राज़ बेघर हो गए है यहाँ अब
राज़ बेघर हो गए है यहाँ अब
सिक्को की आवाज़ अब सुनाई देती नहीं ,
हवाओ में उड़ती है रोशनी उनकी अब
हवाओ में उड़ती है रोशनी उनकी अब
जिंदगी से बेवफाई सबने की है ,
और मौत से डरते है सब
और मौत से डरते है सब
बचपन में जवानी ,जवानी में बुढापा है ,
मौत के बाद भी चैन नहीं है अब
मौत के बाद भी चैन नहीं है अब
कौन रहता है इस शहर में .....
(चिराग )
(चिराग )
Youtube Chirag Ki Kalam
Also Read First Love
Poem On City In Hindi | Poem On City Life | City In English | City Life In Telugu | City Of My Dreams | Poem On City Of Gold | Poem Marathi