90's Childhood | काश वापस आ जाये
काश वो दिन फिर आ जाये
पेंसिल की नौक फिर टूट जाये
नौक करने के बाद के छिलके को पानी में डुबाये
काश वो दिन फिर आ जाये
काश वो रबर फिर घूम जाये
टिफिन काश वो फिर घर से
लंच टाइम में पापा देने आये
गेम्स पीरियड का वो इन्तेजार
वापस आ जाये
एनुअल फंक्शन का वो डांस
वो नाटक की तयारी
वो साइकिल की यारी
काश वापस आ जाये
वो साइकिल का पंचर होना
वो कम्पास में से पेन चोरी होना
वो ड्राइंग का पीरियड
वो मोरल साइंस के पीरियड की नींद
वो बुक से क्रिकेट खेलना
काश वापस आ जाये
wwf का वो खुमार
कोई बनता rock,कोई undertaker तो कोई rikishi
वो होली का हुडदंग
वो संक्रांति की पतंग
हट ...काटा ......हैं की
वो आवाज़
काश वापस आ जाये
वो दिन वो बीते हुए लम्हे
आज भी जेहन में हैं मेरे
बस एक वो आवाज़ वापस आ जाये
और यादो को ताज़ा कर जाये
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Virat Kohli Anil Kumble | तिरभिन्नाट पोहा
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School days were undoubtedly the best days of everyone's life.
ReplyDeleteI instantly felt nostalgic after reading it.
Well written !!!
किसी के भी जीवन के सबसे स्मरणीय और निश्चिन्त दिन यही होते हैं ,काश वो दिन आ कर वापस जाना भूल जाये .... शुभकामनायें !
ReplyDeleteपुरानी यादें ताज़ा कर दीं आपने। एक साथ बहुत से चित्र आँखों के सामने तैर गए....
ReplyDeleteअच्छा लगा पुरानी यादों में लौटना ।
यादें याद आती हैं,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
Sach mein, wo din bahut achhe aur yaadgaar the.
ReplyDeletePar abhi bhi zindagi achhi hi hai.
Cheers,
Blasphemous Aesthete
Purani yadon ka jeevant varnan.... Sunder panktiyan
ReplyDeleteSooo True..!!!!!!!!!!!!!! :)
ReplyDeleteThose innocent childhood days are the most memorable days in everyone's life!!!!!!!!!!!!!!!!!!
^_^
हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी! बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! पुरानी यादों को खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है! बधाई!
ReplyDeletewow..nice poem..ah! truly those were the days...ur poem took me back to my childhood days! :)
ReplyDeletebeautiful poem! :-)
ReplyDeletepurane din yad a gaye... :)
ReplyDeleteबचपन की यादें ताज़ा कर गयी आपकी कविता !
ReplyDeleteआभार !
बहुत भाव पूर्ण कविता है |बधाई आप मेरे ब्लॉग पर आए बहुत अच्छा लगा |आप उज्जैन में रहते हैं
ReplyDeleteजानकार बहुत प्रसन्नता हुई |हम लोग भी ऋषी नगर में {उज्जैन में ) रहते हैं |यदि आपने ऋषी नगर देखा है तो अवश्य मिलिएगा |
आशा |मेरा पता :-
हरेश कुमार सक्सेना
c47 Rishi nagar ujjain
Kash wo din fir aa jaye.........kash
ReplyDeletethanks to everyone
ReplyDeletethis poem dedicated to all the people who were with me in those days
बचपन की यादें ताज़ा कर गयी आपकी कविता !
ReplyDeleteसुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए....
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
ReplyDeletehttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/