ऐ चाँद आज धीरे चल,
चाँदनी के साथ तू भी मचल
आज तू तारो को भी रोक ले ,
मदहोश हो जा तू भी मोहब्बत के नशे में

ऐ चाँद आज अमावस तो नहीं हैं
फिर भी तू कही छुप जा
क्योंकि मेरा महबूब अपने होठो को ,
मेरे लबो से मिलाने से शरमा रहा हैं
नजरो से नजरे चुरा रहा हैं
आज मेरा प्यार मुझे बुला रहा हैं
ऐ चाँद आज बिजलियो से कह दे
के चमक जाये ,
ताकि मेरा महबूब मेरी बाहों से दूर न जाये
ऐ चाँद आज कुछ ऐसा कर
के ये रात खुशनसीब बन जाये
आज ढलने ना दे रात को
सूरज को भी उगने से रोक ले
आज मेरी चाहत के खातिर
बस इतना कर दे ...
(चिराग )
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